स्मारक पर सियासत: दिल्ली में समाधि स्थल बनाने की सरकारी प्रक्रिया
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के बाद उनके समाधि स्थल को लेकर सियासी विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि सरकार ने निगमबोध घाट पर डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार करके उनकी गरिमा का अपमान किया है। इन विवादों के बीच यह जानना महत्वपूर्ण है कि दिल्ली में समाधि स्थल बनाने की सरकारी प्रक्रिया क्या है?
दिल्ली में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के समाधि स्थल को लेकर विवाद
डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया, जिस पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। विपक्ष का कहना है कि पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार राजघाट पर नहीं करवा कर सरकार ने उनका अपमान किया। कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने कहा कि आज तक सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार अधिकृत समाधि स्थलों पर किया गया, ताकि लोग आसानी से उनका अंतिम दर्शन कर सकें। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह का समाधि स्थल बनना चाहिए क्योंकि वह भारत की महान शख्सियत थे।
पूर्व पीएम के सम्मान में कांग्रेस का पत्र
पूर्व पीएम के निधन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार किसी ऐसे स्थान पर करने की मांग की, जहां उनका समाधि स्थल बनाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए, क्योंकि डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारत के लिए ऐतिहासिक था।
समाधि स्थल बनाने की सरकारी प्रक्रिया
अब यह समझना जरूरी है कि दिल्ली में समाधि स्थल बनाने की प्रक्रिया क्या है? इसके लिए किन नेताओं का समाधि स्थल बनता है और कौन नहीं, और किस प्रक्रिया से यह काम होता है।
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समाधि स्थल बनाने की सरकारी प्रक्रिया
सरकारी प्रक्रिया के अनुसार, समाधि स्थल केवल उन नेताओं के लिए बनाए जाते हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और ऐतिहासिक महत्व का योगदान दिया हो। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री और कभी-कभी अन्य राष्ट्रीय स्तर के नेताओं पर लागू होती है। -
समाधि स्थल का प्रशासन
राजघाट और उससे जुड़े समाधि स्थलों का प्रशासन राजघाट क्षेत्र समिति के तहत किया जाता है, जो संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। समाधि स्थल बनाने का निर्णय इस समिति द्वारा स्थान की उपलब्धता, व्यक्ति के योगदान और मौजूदा नीतियों का मूल्यांकन करने के बाद लिया जाता है। -
संस्कृति मंत्रालय की भूमिका
संस्कृति मंत्रालय समाधि स्थल निर्माण के प्रस्ताव की समीक्षा करता है। इस पर चर्चा के लिए शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय से परामर्श किया जाता है। -
समाधि निर्माण की प्रक्रिया
समाधि निर्माण की प्रक्रिया में केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों से अनुमति प्राप्त करनी होती है। संस्कृति मंत्रालय इसका प्रबंधन करता है, जबकि आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय भूमि आवंटन में मदद करता है। गृह मंत्रालय सुरक्षा और राजकीय सम्मान की प्रक्रिया सुनिश्चित करता है। -
भूमि का चयन और निर्माण
समाधि स्थल के लिए भूमि का चयन दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और राजघाट क्षेत्र समिति द्वारा किया जाता है।
बीजेपी का बयान: उचित सम्मान देने का वादा
विवादों के बीच बीजेपी का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को उचित सम्मान देने के लिए पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कैबिनेट ने यह निर्णय लिया है कि डॉ. मनमोहन सिंह की याद में एक स्मारक और समाधि बनाई जाएगी। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अब, जब डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो चुका है, राजनीति कर रही है, जबकि जीवनकाल में कभी उनका सम्मान नहीं किया गया।
निष्कर्ष
समाधि स्थल का निर्माण और उसका सम्मान सरकार की एक गंभीर प्रक्रिया है, जो देश के नेताओं के योगदान को मान्यता देने के लिए होती है। डॉ. मनमोहन सिंह के समाधि स्थल के निर्माण को लेकर जारी विवाद के बावजूद सरकार ने उनकी याद में एक स्मारक और समाधि बनाने का फैसला किया है।
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